Thursday, August 12, 2010

जो मर गए उनसे जाकर पूछो

मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने भोपाल गैस त्रासदी के गुनहगार वारेन एंडरसन के देश से बचकर भाग निकलने पर अपनी सफाई देते हुए राज्य सभा में कहा है कि उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री एवं तात्कालीन गृह मंत्री पीवी नरसिंह राव की अगुवाई वाले गृह मंत्रालय का दबाव था। अच्छी बात है भले ही देर से और काफी फजीहत के बाद बूढ़े हो गए अर्जुन सिंह ने इस बावत अपना मुहं तो खोला वरना कह सकते है भाई अब बूढ़ा हो चला हू। याददाश्त कमजोर हो गई है कुछ ध्यान नहीं असल में दबाव था या भाग गया पक् का नहीं कह सकता।
वैसे सच- सच होता है बिल्कुल कांच की तरह आरपार दिखायी देने वाला। क्योंकि अर्जुन ने यह नहीं बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय से किन अधिकारियों का फोन मुख्य सचिव के पास आया। वारेन एंडरसन को भोपाल से बाहर जाने के लिए शासकीय विमान कैसे मिल गया आदि- आदि।सच को छिपाने के लिए हजार झूठ भी कम पड़ते है। हो सकता है सच के दर्पण में अपना मुखौटा देखकर ही इतने दिनों बाद अजुर्न सिंह ने अपना मुहं खोला वरना नहीं खोलते तो क्या कर लेते।
अब देखना यह है कि अगर उन्होंने यह बात सच कही है तो अच्छा है वरना इसको सच सिद्ध करने के लिए कितना झूठ बोलना पड़ेगा।
वैसे आपको पता होगा कि अर्जुन सिंह राजनीति में जिस व्यक्ति के शिष्य है वह भी झूठ बोलने में कम माहिर नहीं थे। वरना कभी एक कविता नहीं लिखी हो और जेल का निरीक्षण करने के बाद सीधा महाकाव्य लिख दिया हो। खैर अच्छी बात है।.....
वैसे भी कहते है हमारे हिंदू धर्म में अगर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसके बारे में कुछ बुरा नहीं कहना चाहिए। इसलिए मैं अर्जुन सिंह के Óगुरू' और गैस त्रासदी से प्रत्यक्ष व अप्रत्य क्ष रूप से जुड़े उन सभी नेताओं के बारे में चुप्पी साधता हूं। मरे हुए व्यक्ति के बारे में बोलना अच्दी बात नहीं। राजनीति में तो ऐसे व्यक्ति के बारे में बिल्कुल नहीं बोलना चाहिए जिसका कोई बारिश या परिवार को विधानसभा, राज्य सभा , लोकसभा का सदस्य न हो या फिर कोई बढ़ा नेता न हो। इसलिए नरसिंह राव के बारे में तो बिल्कुल मत बोलना वरना संसद में हंगामा नहीं हो पाएगा। अर्जुन सिंह ने सच बोला या झूठ आप पूछना चाहते है तो पहले मरना फिर स्वर्ग व नरक में जाना। उनको तलाशना और फिर उनसे पूछना क्या अर्जुन ने सच बोला।
वैसे मेरे बुद्धिजीवी भाइयों अर्जुन सिंह के वक्तव्य के सच का पता उन्हीं के बयान में आखिर में बोले गए शब्दों से लग जाता है। ' अगर इस बारे में कुछ ज्यादा बोलूगा तो कटुता बढ़ेगी और पीड़ा होती हैÓ। तथाअस्तु।

2 comments:

पंकज मिश्रा said...

ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है। लेख शानदार रहा।

लोकेन्द्र सिंह said...

अच्छा कटाक्ष किया। बूढ़े हो गए हैं अर्जुन सिंह, याददाश्त साथ नहीं देती, लेकिन ये याद रहता है कि गांधी परिवार की पोल न खुल जाए अपनी जबान खुलने पर। गांधी परिवार का कुत्ता भी अगर अर्जुन सिंह को दुत्कार दे तो भी अर्जुन ङ्क्षसह कुछ न बोले.......... बहुत वफादार हैं वे।
आपको स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।